नई दिल्ली: महाराष्ट्र में विधायकों के अयोग्यता के लिए दाखिल अर्जी पर फैसला लेने में स्पीकर की ओर से की जाने वाली देरी पर सुप्रीम कोर्ट ने ऐतराज जताया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि स्पीकर को सुप्रीम कोर्ट के आदेश का सम्मान करना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने अपने 11 मई के जजमेंट का हवाला देते हुए कहा कि स्पीकर को उनके फैसले के हिसाब से चलना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने महाराष्ट्र विधानसभा स्पीकर से कहा है कि वह अयोग्यता पिटीशन पर कार्यवाही के लिए एक हफ्ते में टाइम लाइन तय करें। उद्धव ठाकरे ग्रुप की ओर से अर्जी दाखिल कर शिंदे ग्रुप के विधायकों को अयोग्य घोषित करने के लिए स्पीकर के सामने गुहार लगा रखी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 10 वीं अनुसूची के तहत स्पीकर अयोग्यता अर्जी पर अनिश्चितकालीन देरी नहीं कर सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि स्पीकर को फैसला लेना चाहिए। इस तरह फैसला लेने में देरी नहीं हो सकती है। 11 मई के अपने जजमेंट को रेफर करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस जजमेंट के बाद स्पीकर ने क्या किया। स्पीकर से इस जजमेंट में कहा गया था कि वह उचित समय में अयोग्यता वाली अर्जी पर फैसला लें। उद्धव ठाकरे ग्रुप की ओर से यह अर्जी दाखिल की गई है कि शिंदे ग्रुप के एमएलए को अयोग्य करार दिया जाए। उन विधायकों को बागी बताते हुए उन्हें अयोग्य करार देने के लिए उद्धव ग्रुप की ओर से गुहार लगाई गई है। इस मामले में 34 अर्जी दाखिल है और कुल 56 विधायकों के अयोग्यता का मामला स्पीकर के सामने पेंडिंग हैं। उद्धव ठाकरे की ओर से कपिल सिब्बल ने कहा कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 11 मई 2023 को जजमेंट दिया था। तब कहा गया था कि अयोग्यता पर स्पीकर उचित समय में फैसला लें। इस बाबत याचिाककर्ताओं की ओर से कई रिप्रजेंटेशन स्पीकर के सामने डाला गया लेकिन कोई एक्शन नहीं हुआ तब 4 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की गई और फिर 14 जुलाई को मामले में नोटिस जारी किया गया। सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई से चार दिन पहले 14 सितंबर की तारीख स्पीकर ने लगाई और उस दिन याचिकाकर्ताओं से दस्तावेज मांगे और सुनवाई टाल दिया और कोई तारीख तय नहीं की। सुप्रीम कोर्ट को इस मामले में निर्देश जारी करना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट में इस पर सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि यह नहीं भूलना चाहिए कि स्पीकर संवैधानिक पद है। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ने कहा कि तथ्यों से यह दिख रहा है कि कुछ नहीं हुआ है। ये नहीं कह सकते कि सुनवाई टाली जाती है और बाद में देखेंगे। इसमें तारीख होनी चाहिए। स्पीकर 10 वीं अनुसूची में ट्रिब्यूनल की तरह कार्यवाही करते हैं और वह सुप्रीम कोर्ट के जूरिडिक्शन में आएगा। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने जो फैसला दिया था उसका सम्मान होना चाहिए।
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