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Friday 1 September 2023

प्रयागराज वालों! रेलवे बोर्ड की अध्यक्ष बन इतिहास रचने वाली जया वर्मा सिन्हा को जानते हैं आप? शहर से पुराना नाता

प्रयागराज: बोर्ड की अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी अधिकारी- CEO बनी भारतीय रेलवे के इस शीर्ष पद पर नियुक्त होने वाली पहली महिला हैं। जया वर्मा सिन्हा का प्रयागराज से बहुत गहरा नाता रहा है। जया वर्मा का बचपन ही नही प्रारंभिक शिक्षा दीक्षा से लेकर बीएससी और मनोविज्ञान से परस्नातक तक की पढ़ाई भी प्रयागराज में ही हुई है। भारतीय रेल के 186 साल के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है, जबकि रेलवे बोर्ड की अध्यक्षा के पद पर किसी महिला को तैनाती मिली है। जया वर्मा का जन्म संगमनगरी में हुआ। इनका पैतृक निवास अल्लापुर के बाघंबरी हाउसिंग स्कीम में है। इनके पिता वीबी वर्मा सीएजी ऑफिस में उच्च अधिकारी थे।और बड़े भाई जयदीप वर्मा यूपी रोजवेज में बड़े अफसर रहे। वर्तमान में इनका परिवार अब लखनऊ में शिफ्ट है। जया की स्कूली शिक्षा सेंट मेरी कॉन्वेंट इंटर कॉलेज से हुई। उसके बाद उन्होंने इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय से बीएससी की पढ़ाई पूरी की। फिर मनोविज्ञान से इन्होंने परास्नातक किया। जया वर्मा सिन्हा को फोटोग्राफी का शौक है। वह बहुत अच्छी फोटोग्राफर भी हैं। उन्हें नेचर से बहुत लगाव है। उन्हें पशु-पक्षियों की फोटो क्लिक करना पसंद है। इसके अलावा उन्हें संगीत में भी रुचि है। ओल्ड इज गोल्ड में किशोर कुमार के गाने सुनना उन्हें बेहद पसंद है। जया वर्मा के पति नीरज सिन्हा आईपीएस हैं। उनकी तैनाती बिहार के पटना में डीजी नागरिक सुरक्षा के पद पर है। उनकी एक बेटी है। उसका नाम अवनिका सिन्हा है। वही दिल्ली में ही पढ़ाई कर रही है।जया वर्मा इंडियन रेलवे मैनेजमेंट सर्विस की 1986 बैच की आईआरटीएस अफसर हैं। ट्रेनिंग के बाद वर्ष 1988 में उन्होंने रेलवे सेवा शुरू किया। जया वर्मा सिन्हा 1988 से भारतीय रेलबे भारतीय रेलवे में अपने 35 साल से अधिक के करियर में उन्होंने रेलवे बोर्ड के सदस्य-संचालन और व्यवसाय विकास अपर सदस्य, यातायात परिवहन जैसे विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया है। उन्होंने परिचालन, वाणिज्यिक, आईटी और सतर्कता सहित विभिन्न क्षेत्रों में काम किया है। वह दक्षिण-पूर्व रेलवे की प्रधान मुख्य परिचालन प्रबंधक के रूप में नियुक्त होने वाली पहली महिला भी रही हैं। उन्होंने बांग्लादेश के ढाका में भारतीय उच्चायोग में रेलवे सलाहकार के रूप में भी कार्य किया, उनके इस कार्यकाल के दौरान कोलकाता से ढाका तक प्रसिद्ध मैत्री एक्सप्रेस का उद्घाटन किया गया था।


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