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Friday, 22 November 2024

राफेल फाइटर जेट में चीन की मिसाइलें लगाने जा रहा यह मुस्लिम देश, भारत की बढ़ेंगी मुश्किलें, जानें क्यों?

काहिरा: फ्रांस में बना राफेल भारतीय वायु सेना का सबसे अडवांस लड़ाकू विमान है। इसे चीन के खिलाफ भारत के सबसे शक्तिशाली हथियारों में गिना जाता है। लेकिन, इस पर भी अब चीन की नजर पड़ गई है। दरअसल, राफेल को ऑपरेट करने वाला मिस्र जल्द ही अपने लड़ाकू विमानों में चीनी मिसाइलों को इंटीग्रेट करने का काम करने वाला है। एक हालिया इजरायली रिपोर्ट के मुताबिक, चीन मिस्र को उन्नत तकनीक से लैस लंबी दूरी की क्रूज मिसाइल गुआंग्डोंग होंगडा HD-1A की आपूर्ति कर सकता है। 290 किलोमीटर से अधिक की रेंज वाली इन मिसाइलों को मिस्र की वायु सेना में शामिल राफेल लड़ाकू विमान में लगाया जा सकता है।राफेल लड़ाकू विमान में चीनी मिसाइलों के लगने से मिस्र की वायु सेना को काफी बढ़त मिलेगी। रिपोर्ट में इस तरह के उन्नत हथियार, जैसे कि SCALP-EG मिसाइलों को हासिल करने में काहिरा के सामने आने वाली रसद और राजनीतिक कठिनाइयों की ओर इशारा किया गया है। मिस्र को SCALP-EG मिसाइल इसलिए नहीं दिया जा रहा, क्योंकि इससे इजरायल की सैन्य श्रेष्ठता को धक्का लग सकता है, जो इस इलाके में अमेरिका का सबसे करीबी सहयोगी है। उसे SCALP मिसाइल का ऐसा वेरिएंट दिया गया है, जो कम अडवांस है। ऐसे में मिस्र अपने हथियारों में विविधता लाने के लिए चीन के करीब जा रहा है।

चीनी मिसाइल से भारत की मुश्किल कैसे बढ़ेगी

भारतीय वायु सेना के बेड़े में राफेल सबसे शक्तिशाली लड़ाकू विमान है। वर्तमान में यह विमान चुनिंदा देशों के पास ही है। ऐसे में चीन को राफेल के बारे में बेहद कम जानकारी है। लेकिन, अगर राफेल में चीनी मिसाइलों को इंटीग्रेट किया जाता है, तो इससे चीन के पास राफेल के हथियारों को फायर करने की क्षमता का पता चल सकता है। इसके अलावा चीन राफेल की कई खूबियों को भी जान सकता है, जो भारत के सरप्राइज अटैक की संभावना को खारिज कर देगा। इससे चीन को तैयारी करने का अतिरिक्त मौका मिल सकता है।

गुआंग्डोंग होंगडा HD-1A मिसाइल कितनी शक्तिशाली

गुआंग्डोंग होंगडा HD-1A मिसाइल अपनी सटीक लक्ष्यीकरण क्षमताओं और लंबी दूरी की पहुंच के कारण सबसे अलग है। यह मिसाइल मिस्र की सैन्य शक्ति को कई गुना आगे बढ़ाने में सक्षम है। ये हथियार मिस्र को बेहतर निवारक क्षमता प्रदान करेंगे, जिससे उसे मौजूदा मिसाइल प्रणालियों की सीमा से कहीं आगे के रणनीतिक लक्ष्यों पर हमला करने की क्षमता मिलेगी। मिस्र के साथ चीन की बढ़ती साझेदारी को देखते हुए, इस संभावित मिसाइल सौदे को काहिरा द्वारा अपने हथियार आपूर्ति विकल्पों का विस्तार करने की व्यापक रणनीति के हिस्से के रूप में देखा जा रहा है।

चीन ने राफेल के मॉडल में मिसाइल लगाकर दिखाया

दक्षिणी चीन में झुहाई एयरशो में एक यादगार पल ने काफी दिलचस्पी जगाई जब एक फ्रांसीसी राफेल लड़ाकू विमान का मॉडल दो गुआंगडोंग होंगडा एचडी-1ए मिसाइलों से लैस दिखाया गया। इसने अटकलों को बढ़ावा दिया। हालांकि, कुछ लोगों ने इसे चीन की क्षमताओं का विज्ञापन करने के लिए डिज़ाइन की गई मार्केटिंग चाल के रूप में खारिज कर दिया। शुरू में, विशेषज्ञों ने इसे चीन के पश्चिमी देशों के साथ तनावपूर्ण संबंधों के कारण राजनीतिक बाधाओं का हवाला देते हुए असंभव माना।

तेजी से ताकत बढ़ा रहा मिस्र

हालांकि, अब इजरायली रिपोर्ट एक अधिक व्यवहार्य परिदृश्य का सुझाव देती है जिसमें मिस्र पश्चिमी प्रतिबंधों को दरकिनार करते हुए इन चीनी मिसाइलों को हासिल कर सकता है। यह परिदृश्य गैर-पश्चिमी देशों से उन्नत हथियार हासिल करने की मिस्र की चल रही रणनीति के अनुरूप है, जिससे चीन जैसे देशों के साथ उसकी सैन्य साझेदारी का विस्तार हो रहा है। हाल की रिपोर्टें मिस्र और इटली के बीच बढ़ती सैन्य चर्चाओं की ओर भी इशारा करती हैं, खास तौर पर 24 यूरोफाइटर टाइफून के अधिग्रहण के बारे में, जिसकी कीमत करीब 3 बिलियन डॉलर है। यह सौदा, जिसमें यूके, स्पेन, इटली और जर्मनी के बीच सहयोग शामिल है, आधुनिक सैन्य विमानन में यूरोपीय सहयोग की ताकत को रेखांकित करता है।


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