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Monday, 30 December 2024

अमेरिका का H-1B वीजा कार्यक्रम क्या है, जिसने डोनाल्ड ट्रंप के समर्थकों के बीच छेड़ दी बहस, जानें

: अमेरिका में H-1B वीजा कार्यक्रम पर खूब बहस हो रही है। रिपब्लिकन पार्टी के अंदर ही इस पर मतभेद हैं। अमेरिका के नव-निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी इस मामले में अपनी पुरानी नीतियों से थोड़ा अलग रुख अपना रहे हैं। उन्होंने इसे 'शानदार कार्यक्रम' कहा है। इससे उनके समर्थकों में भी बंटवारा हो गया है। विवेक रामास्वामी और निक्की हेली जैसे नेता भी इस बहस में कूद पड़े हैं। एलन मस्क की भी इसमें अपनी राय है। यह वीजा कुशल विदेशी पेशेवरों को अमेरिका में काम करने की अनुमति देता है। यह वीजा खासकर टेक इंडस्ट्री में बहुत लोकप्रिय है, लेकिन इसे लेकर ट्रंप प्रशासन के 'अमेरिका फर्स्ट' के नारे के समर्थकों में असंतोष है। ट्रंप ने पहले नियमों को सख्त किया था, लेकिन 2024 के चुनाव प्रचार के दौरान उनका रवैया थोड़ा नरम दिखा। उन्होंने कहा था, ''मैं एच-1बी वीजा में विश्वास करता हूं। मैंने इसे कई बार इस्तेमाल किया है। यह एक बेहतरीन कार्यक्रम है।" ट्रंप के बदले रुख से उनके समर्थकों में दोफाड़ हो गया है। कुछ लोग इसे व्यावहारिक कदम मान रहे हैं, तो कुछ इसे उनके सिद्धांतों से अलग।

H-1B Visa पर डोनाल्ड ट्रंप के समर्थकों में क्यों है भ्रम की स्थिति?

ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल के दौरान 'हायर अमेरिकन' नाम का एक आदेश जारी किया था। इसका मकसद अमेरिकी नागरिकों के हितों की रक्षा करना था। इस आदेश के तहत कंपनियों के लिए विदेशी कर्मचारियों को नौकरी पर रखना और मुश्किल हो गया था, लेकिन अब ट्रंप के बदले हुए बयान से उनके समर्थकों में भ्रम की स्थिति है। दरअसल, ट्रंप खुद एक व्यवसायी रहे हैं। उन्होंने अपने होटल और रियल एस्टेट कारोबार में विदेशी कर्मचारियों को नौकरी पर रखा है। इसलिए एच-1बी वीजा के प्रति उनका नरम रवैया उनकी व्यवसायिक पृष्ठभूमि से मेल खाता है।

विवेक रामास्वामी का क्या कहना है?

विवेक रामास्वामी ने इस मुद्दे पर अपनी राय सोशल मीडिया पर रखी। उन्होंने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, ''हमारी अमेरिकी संस्कृति ने उत्कृष्टता के बजाय सामान्यता को महत्व दिया है। एक ऐसी संस्कृति जो मैथ ओलंपियाड चैंपियन की बजाय प्रोम क्वीन या वेलेडिक्टोरियन की बजाय जॉक को महत्व देती है, वह सर्वश्रेष्ठ इंजीनियर नहीं पैदा करेगी।'' बता दें कि वेलेडिक्टोरियन का अर्थ (उत्तरी अमेरिका में) ऐसे छात्र से है जो ग्रेजुएशन सेरेमनी में विदाई भाषण देता है। जॉक का अर्थ ऐसे उत्तरी अमेरिकी युवा व्यक्ति से है जो किसी विशेष खेल के प्रति उत्साही होता है और उसे खेलने में बहुत समय बिताता है। प्रोम क्वीन का अर्थ ऐसी लड़की से है जिसे हाई स्कूल प्रोम में एक विशेष टाइटल और पोजिशन प्राप्त करने के लिए चुना जाता है। प्रोम स्कूल वर्ष के अंत में आयोजित होने वाले औपचारिक नृत्य होते हैं।रामास्वामी ने आगे लिखा, ''शीर्ष तकनीकी कंपनियां अक्सर विदेशी मूल के और पहली पीढ़ी के इंजीनियरों को 'देशी' अमेरिकियों पर इसलिए नियुक्त करती हैं, क्योंकि अमेरिकी बुद्धिमत्ता में कमी है (यह एक आलसी और गलत व्याख्या है)। इसका एक मुख्य कारण संस्कृति है। कठिन प्रश्नों के कठिन उत्तर चाहिए।"

निक्की हेली क्या बोलीं?

निक्की हेली ने रामास्वामी के बयान पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने लिखा, "अमेरिकी कर्मचारियों या अमेरिकी संस्कृति में कुछ भी गलत नहीं है। आपको बस बॉर्डर पर नजर डालनी है और देखना है कि हमारे पास जो है, उसे कितने लोग चाहते हैं। हमें अमेरिकियों में निवेश करना चाहिए और उन्हें प्राथमिकता देनी चाहिए, न कि विदेशी कर्मचारियों में।''

श्रीराम कृष्णन की नियुक्ति से कुछ MAGA समर्थकों में नाराजगी

ट्रंप ने भारतीय-अमेरिकी उद्यमी श्रीराम कृष्णन को एआई सलाहकार नियुक्त किया है। इससे भी कुछ MAGA (मेक अमेरिका ग्रेट अगेन) समर्थकों में नाराजगी है। दक्षिणपंथी टिप्पणीकारों का कहना है कि यह ट्रंप के प्रो-इमिग्रेशन झुकाव को दर्शाता है। सोशल मीडिया पर इस नियुक्ति को लेकर कई षड्यंत्र के सिद्धांत भी घूम रहे हैं।

H-1B वीजा पर क्या है एलन मस्क का स्टैंड?

इसके अलावा, एच-1बी कार्यक्रम के मुखर समर्थक एलन मस्क के साथ ट्रंप का गठबंधन उनकी स्थिति को जटिल बनाता है। टेस्ला और स्पेसएक्स सहित मस्क की कंपनियां एच-1बी वीजा के सबसे बड़े लाभार्थियों में से हैं। मस्क ने आलोचकों को सार्वजनिक रूप से चुनौती दी है, उन्होंने इस कार्यक्रम को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और एयरोस्पेस जैसे क्षेत्रों में अमेरिकी प्रतिस्पर्धा को बनाए रखने के लिए अनिवार्य बताया है।

H-1B वीजा क्या है?

एच-1बी वीजा एक गैर-आप्रवासी वीजा है। यह उच्च शिक्षित विदेशी पेशेवरों को 'विशेष व्यवसायों' में काम करने की अनुमति देता है। इन व्यवसायों के लिए कम से कम स्नातक की डिग्री की आवश्यकता होती है। तकनीकी, इंजीनियरिंग, गणित और चिकित्सा विज्ञान जैसे क्षेत्रों में इस वीजा के लिए सबसे ज्यादा आवेदन आते हैं। यह वीजा आमतौर पर तीन साल के लिए वैध होता है, जिसे अधिकतम छह साल तक बढ़ाया जा सकता है। यह ग्रीन कार्ड के माध्यम से स्थायी निवास प्राप्त करने का रास्ता भी खोल सकता है।नियोक्ता को यह सुनिश्चित करना होता है कि एच-1बी कर्मचारी को नियुक्त करने से अमेरिकी कर्मचारियों की मजदूरी और कार्य स्थितियों पर प्रतिकूल प्रभाव न पड़े। इस कार्यक्रम के लिए प्रतिवर्ष 65,000 वीजा की सीमा है, जिसमें अमेरिकी संस्थानों से उच्च डिग्री धारकों के लिए अतिरिक्त 20,000 आरक्षित हैं। मांग ज्यादा होने के कारण वीजा आवंटन के लिए लॉटरी सिस्टम का इस्तेमाल किया जाता है। एच-1बी वीजा धारकों में भारतीयों की संख्या अच्छी-खासी है।

एच-1बी वीजा धारकों ने अमेरिकी अर्थव्यवस्था में दिया है अहम योगदान

अमेरिका का तकनीकी क्षेत्र कर्मचारियों की कमी को पूरा करने के लिए एच-1बी कार्यक्रम पर काफी निर्भर है। अध्ययनों से पता चलता है कि एच-1बी वीजा धारकों ने अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। 2021 में एच-1बी कर्मचारियों का औसत वेतन 108,000 डॉलर था, जबकि कुल मिलाकर अमेरिकी कर्मचारियों के लिए यह 45,760 डॉलर था। इसके अलावा कोविड-19 महामारी के दौरान टीके के विकास जैसे क्षेत्रों में एच-1बी कर्मचारियों की अहम भूमिका रही है।एच-1बी वीजा पर चर्चा अमेरिका में आप्रवास को लेकर बड़ी चिंताओं को दर्शाती है। आलोचकों का तर्क है कि यह कार्यक्रम घरेलू कर्मचारियों के लिए मजदूरी को कम करता है और विदेशी प्रतिभा पर निर्भरता को बढ़ावा देता है। समर्थकों का कहना है कि यह महत्वपूर्ण श्रम अंतराल को भरता है और नवाचार को बढ़ावा देता है।


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