संविधान की रक्षा, मनुस्मृति की आलोचना... जातीय जनगणना, विधानसभा चुनाव के लिए किस दिशा में बढ़ रहे राहुल गांधी - Turning news

Breaking

ads a gony

Post Top Ad

->

Saturday, 19 October 2024

संविधान की रक्षा, मनुस्मृति की आलोचना... जातीय जनगणना, विधानसभा चुनाव के लिए किस दिशा में बढ़ रहे राहुल गांधी

नई दिल्ली : महाराष्ट्र और झारखंड में विधानसभा चुनावों की तारीखों का ऐलान हो चुका है। हरियाणा की हार को पीछे छोड़ कांग्रेस एक बार फिर से दोनों राज्यों में जीत हासिल करने के लिए चुनाव प्रचार में जोरशोर से जुट गई है। पार्टी के नेता ने एक बार फिर पूरे उत्साह के साथ पार्टी के लिए वोट मांगने चुनावी सभाओं में उतर रहे हैं। राहुल ने एक बार फिर से संविधान की रक्षा के साथ ही की बात दोहराई है। इसके साथ ही राहुल गांधी इन चुनावों में एक नई दिशा में बढ़ते दिख रहे हैं।

मनुस्मृति की आलोचना कर रहे राहुल

खास बात है कि इस बार राहुल मनुस्मृति की आलोचना भी कर रहे हैं। हरियाणा में दलित वोटरों से नाराजगी के बाद कांग्रेस ने अब नई रणनीति बनाई है। पार्टी इस बार किसी भी कीमत पर दलितों, पिछड़ों और आदिवासियों के वोटों को खोना नहीं चाहती है। झारखंड में ‘संविधान सम्मान सम्मेलन’ में राहुल गांधी ने इसकी झलक भी दिखा दी। राहुल गांधी ने यहां कहा कि मनुस्मृति को संविधान विरोधी पुस्तक है। उन्होंने कहा कि संविधान और मनुस्मृति के बीच की लड़ाई वर्षों से चली आ रही है। राहुल ने कहा कि संविधान की किताब भले ही 1949-1950 में लिखी गई, लेकिन इसके पीछे की सोच हजारों साल पुरानी है। भगवान बुद्ध, गुरु नानक, बाबा साहेब अंबेडकर, बिरसा मुंडा, नारायण गुरु और बसावना जैसे महापुरुषों की सोच के आधार पर इसे रचा गया है। ऐसे महापुरुष और उनकी महान सोच नहीं होती तो संविधान की रचना ही नहीं होती। इसी सोच पर आज चौतरफा हमला हो रहा है। आज संविधान की रक्षा का सवाल सबसे बड़ा है।

जातिगत जनगणना पर खेल रहे दांव

जातीय जनगणना का संकल्प दोहराते हुए राहुल गांधी ने कहा कि यह इसलिए जरूरी है, क्योंकि इस देश के 90 प्रतिशत लोगों का हक एक प्रतिशत लोग मिलकर छीन रहे हैं। 90 प्रतिशत लोगों का इतिहास मिटाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हम हर हाल में जातीय जनगणना कराएंगे और इसके साथ ही 50 फीसदी आरक्षण की सीमा को खत्म करेंगे। राहुल आदिवासियों को भी अपने पाले में एकजुट करने की कवायद करते दिखे। राहुल ने कहा कि स्कूलों के पाठ्यक्रम में आदिवासियों के बारे में एक पूरा चैप्टर तक नहीं है। बीजेपी पर हमला बोलते हुए कांग्रेस नेता ने कहा कि ये लोग आदिवासी को वनवासी कहते हैं। इसके पीछे इनकी सोच है कि आदिवासी को उनके हक से वंचित रखा जाए। आदिवासी वे हैं, जो इस धरती पर सबसे पहले आए। संसाधनों पर सबसे पहला हक उनका है। लेकिन वनवासी कहकर उन्हें सिर्फ जंगल में रहने वाला बताया जा रहा है।

फिर उठाया ओबीसी अधिकारियों का मुद्दा

राहुल ने अपने संबोधन में कहा कि ओबीसी, किसान, मजदूर, बढ़ई, नाई, मोची- इन तमाम लोगों का इतिहास कहीं लिखा ही नहीं गया है, जबकि हिन्दुस्तान में 90 प्रतिशत लोग यही हैं। राहुल ने देश की अफसरशाही संरचना को भेदभावपूर्ण करार दिया। उन्होंने कहा कि बड़े मंत्रालयों में दलित, आदिवासी और पिछड़े अफसर नहीं के बराबर हैं। पिछड़े वर्ग के अफसर 10 प्रतिशत, दलित अफसर मात्र एक रुपये और आदिवासी अफसर मात्र 10 पैसा खर्च करने का निर्णय ले पाते हैं।


from https://ift.tt/57xTcnW

No comments:

Post a Comment

Pages